।। भगवान श्री चित्रगुप्त जी की आरती।।
आरति श्रीयुत सब गुण आगर ।
विद्या-वारिधि, बुद्धि-उजागर ।।
‘चित्रगुप्त’ शुभ नाम तुम्हारा,गावत वेद विदित संसारा ।
है अधीन तव जीव चराचर,आरति श्रीयुत सब गुण आगर ।।
पाप पुण्य कर जग का लेखा, राखन-हार न तुम सब देखा ।
नित भगवान करत बहुत आदर, आरति श्रीयुत सब गुण आगर ।।
नेति-नेति श्रुति कहत पुकारी, महिमा अपरम्पार तुम्हारी ।
प्रेम, दया, करूणा के सागर, आरति श्रीयुत सब गुण आगर ।।
दाहिनी कर लेखनी विराजे, बायें कर पुस्तक छवि छाजे ।
सोहत तिलक ललाट मनोहर, आरति श्रीयुत सब गुण आगर ।।
जो नित ध्यान तुम्हारों लावे, जन्म मरण बन्धन छुट जावे ।
निश्चय पार होइ भव -सागर, आरति श्रीयुत सब गुण आगर ।।
आप पिता हम बालक सारे, हैं तुम्हरे सब भाँति सहारे ।
क्षमिय सकल अपराध कृपाकर, आरति श्रीयुत सब गुण आगर ।।
मांगत वर ‘‘शैदा’ कर-जौरें, बार-बार करि नाथ निहोरे ।
दीजै मुक्ति दया कर, आरति श्रीयुत सब गुण आगर ।।